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आज इस बहुचर्चित दूरदर्शन ड्रामा का अंत हो गया। मीडिया, बॉलीवुड स्टार्स, प्रतिभागी, मोबाइल फ़ोन कंपनियां आदि ने खूब कमाई की। समय समय पर कुछ जाने माने लोगों को लाकर ड्रामे को चित्ताकर्षक बनाने की कोशिश भी की गयी। यह सब एक पूँजीवादी और खुले बाज़ार में स्वीकार्य है। समाज ने खुले बाज़ार को तो अपनाया है लेकिन अभी तक खुले तौर पर अश्लीलता को नहीं स्वीकारा है और न ही अश्लीलता में संलग्न पात्र को क्षमा करने कि शक्ति ही जुटा पाई है। यह सामाजिक अक्षमता समय समय पर पूरे देश में देखने को मिल जाया करती है। पश्चिमी दुनिया में भले ही अश्लीलता को व्यवसाय के नाम पर अश्लील पात्रों को सम्मानित और प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में प्रतिष्ठित कर देते हों, लेकिन भारतीय समाज में तो ऐसा नहीं था। तब यह कैसे हुआ कि एक पश्चिमी पोर्न स्टार को यहाँ पर इतना सम्मान मिला। सम्मान का मतलब इतना तो होता ही है कि सभी आपके आगे पीछे हों, आपकी एक हंसी के इंतज़ार में हो, आपके विचारों और वक्तब्यों को सुनने कि इच्छा हो, आप किसी न किसी रूप में उनके आदर्श हों आदि आदि। एक पोर्न स्टार के लिए इतना सम्मान दूरदर्शन पटल पर साफ़ दिखाई दिया, जो कि समाज और पूरा देश देखा। जिन बॉलीवुड स्टार्स को एक बड़ा नौजवान तबका अपना आदर्श मानता है, वह भी इस बाला को इतना सम्मान दे रहे थे कि उस बाला कि महिमा अपरम्पार लगने लगी। जबकि उस बाला कि अपनी खुद कि आधिकारिक वेबसाइट उसकी अश्लीलता का पूरा बखान करती है। तब भी भारतीय समाज ने इस ड्रामे का बखूबी लुत्फ़ उठाया। और अगर अश्लीलता में इतने खुले रूप में संलग्नता होने के बावजूद कोई हमारे समाज में इस मुकाम तक अर्थात इतना सम्मान पा सकता है तो क्यों न हमारे नौजवान इस रास्ते को चुनेंगे। मानवीय फितरत में तो सम्मान पाना एक बहुत ही बड़ा उद्देश्य बन जाता है। यह बात अलग है कि यह उनकी खुद कि समझ पर निर्भर करता है। और भारत में तो दुनिया के सबसे ज्यादा नौजवान हैं। अब हमको देखना है कि हम अपने देश के इतने बड़े हुजूम को, जो कि हमारे देश को नयी दिशा दे सकता है, किस दिशा में भेजना चाहते हैं।
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